ऑपरेटिंग सिस्टम एक (OS) सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर हार्डवेयर की इंटर्नल गतिविधियों को कंट्रोल करता है और यूजर इंटरफ़ेस (User Interface) प्रोवाइडेड करता है। सभी एप्लीकेशन प्रोग्राम्स को इस तरह से प्रोग्राम किया जाना चाहिए ताकि वो ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बातचीत कर सके और हार्डवेयर रिसोर्सेज का प्रयोग कर सकें।
यही पहला प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर के स्विच ऑन होने के बाद कंप्यूटर की मेमोरी में लोड (Copy) किया जाता है। पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम है Windows XP, Windows Vista, OS/2 और Unix (यूनिक्स)। IBM मेनफ्रेम कंप्यूटर MVS, VM या DOS/VSE ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं।
👉 ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रमुख कार्य है यूजर और हार्डवेयर के बीच एक इंटरफेस प्रदान करना। यह इंटरफ़ेस एक यूजर को अधिक कुशल तरीके से हार्डवेयर रिसोर्सेज का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) का मुख्य ध्यान, कंप्यूटर रिसोर्सेज को एक या अधिक कार्य के लिए Allocate या De-Allocate करना होता है। वास्तव में, इसे हार्डवेयर के ऊपर एक कवर के रूप में देखा जा सकता है। इस तरह ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रत्येक कंप्यूटर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण भाग है।
जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक ही यूजर को सपोर्ट करता है, सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहलाता है जैसे Windows XP. कुछ OS जैसे लाइनक्स, यूनिक्स आदि, एक बार में मल्टीपल यूजर्स को सपोर्ट करते हैं।
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एक ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न सभी कार्य करता है:
प्रोसेसर मैनेजमेंट: OS प्रोसेसर्स को (यदि कंप्यूटर के पास एक से अधिक प्रोसेसर होतेे हैं) अलग-अलग कार्य आइसन (assign) करते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम द्वारा किया जाना आवश्यक है।
मेमोरी मैनेजमेंट: यह (OS), सिस्टम प्रोग्राम, यूज़र प्रोग्राम्स और डाटा को मेन मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी Allocate करता है।
इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट: यह इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट का कार्य करता है और विभिन्न इनपुट आउटपुट डिवाइसेज को आइसन (assign) और कोआर्डिनेट (coordinate) करता है।
फाइल मैनेजमेंट : यह फाइल्स को विभिन्न स्टोरेज डिवाइसेज पर मैनेज करता है और इन फाइल्स को एक स्टोरेज डिवाइस से दूसरी में ट्रांसफर करता है। यह टेक्स्ट एडिटर्स (Text Editors) या किसी अन्य फाइल मैनीपुलेशन सॉफ्टवेयर पैकेजेस की मदद से सभी फाइलों को आसानी से बदलने और मॉडिफाई किए जाने की अनुमति देता है।
शिड्यूलिंग : यह जॉब प्रायरिटी को स्थापित करता है और उसे लागू भी करता है। यानी कि यह कंप्यूटर सिस्टम में जॉब्स या कार्य किस क्रम में एग्जिक्यूट किए जानेे हैं उसे निर्धारित करता है और मेंटेन भी करता है।
टाइम शेयरिंग: यह कॉम्पिलर्स (Compilers), ऐसेम्बलर्स (Assemblers) यूटिलिटी प्रोग्राम्स और अन्य सॉफ्टवेयर पैकेजेस को, कंप्यूटर सिस्टम पर काम करने वाले अलग अलग यूजर्स के लिए असाइन और कोआर्डिनेट करता है।
सिक्योरिटी मैनेजमेंट : यह डाटा सिक्योरिटी और इंटेग्रिटी को इन्सटाल्ड करता है। यानी कि यहां अलग-अलग प्रोग्राम्स और डाटा को इस तरीके से रखता है जिससे ये एक दूसरे के बीच दखलंदाजी न कर सके। इसके अलावा, यह गलत यूजर द्वारा डाटा को नष्ट किए जाने से भी बचाता है।
यह Dumps, ट्रेसेज (traces), एरर मैसेजेस (error messages), अन्य डिबगिंग (debugging) और एरर डेटेक्टिंग कोड्स भी प्रस्तुत करता है।
(i) यह इंटर्नल क्लॉक (Internal Clock) को मेंटेेन करता है और अन्य यूजर्स के लिए सिस्टम यूजर्स के लॉग (log) को भी मेंटेेन करता।
(ii) यह कंप्यूटर सिस्टम और कंप्यूटर ऑपरेटर के बीच कम्युनिकेशन को आसान बनाता है।
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एक ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य को, Summarized (संक्षेप) में इस तरह से क्लासिफाइड किया जा सकता है :
1. रिसोर्स मैनेजमेंट (प्रोसेसर मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट)।
2. प्रोसेस मैनेजमेंट (जॉब शिड्यूलिंग, टास्क मैनेजमेंट)।
3. डाटा मैनेजमेंट (फाइल मैनेजमेंट और इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट)।
4. सिक्योरिटी मैनेजमेंट।
👉 कुछ पॉपुलर OS हैं MS-DOS, विंडोज XP, यूनिक्स, लाइनक्स, सोलरिस (Solaris) और OS/2.
सभी ऑपरेटिंग सिस्टम को चार भागों में बाटा गया है :-
1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में कंप्यूटर पर एक ही यूजर को काम करने की अनुमति देते है उन्हें सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। उदाहरण: DOS, विंडोज XP आदि।
2. मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम
एक मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम, एक ही कंप्यूटर पर एक साथ कई यूजर्स को काम करने की अनुमति देते हैं, प्रत्येक यूजर को एक सिंगल कंप्यूटर से कनेक्टेड टर्मिनल दी जाती है। उदाहरण: लाइनक्स, यूनिक्स, विंडोज 2000 आदि।
3. सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिंगल जॉब प्रोग्राम को एक बार में ही ऐग्जिक्यूट कर लेते हैं, उन्हें सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। उदाहरण: MS-DOS
4. मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक से अधिक जॉब्स के ऐग्जिक्यूशन को सपोर्ट करता है। आजकल के अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे विंडोज 2000, OS/2, यूनिक्स, लाइनक्स आदि, मल्टीटास्किंग को सपोर्ट करते हैं। विंडोज XP और 7, PC के लिए Windows डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम के बाद वाले वर्जन हैं। विंडोज XP ने डेस्कटॉप को एक नया पर्सनलाइज्ड लुक दिया है। जिससे यूजर को इमेजेस इंपोर्ट (Images import) या स्कैन करने में आसानी होती है। यह म्यूजिक फाइल्स को वेब पर लाने और फिर उन्हें पोर्टेबल डिवाइसेस पर ट्रांसफर करने के लिए बने हैं। विंडोज 7 अलग अलग फैमिली मेंबर्स को अपने अपने अलग डेस्कटॉप और फाइल्स के पर्सनल सैट इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। स्टार्ट मैन्यू को रीडिजाइन किया गया है जिस से ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम्स को ढूंढने में आसानी हो। विंडोज XP और विंडोस 7 प्रोफेशनल वर्जन वाले और होम एडिशन वर्जन दोनों तरह से ही मिलते हैं।
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फाइल मैनेजमेंट : यह फाइल्स को विभिन्न स्टोरेज डिवाइसेज पर मैनेज करता है और इन फाइल्स को एक स्टोरेज डिवाइस से दूसरी में ट्रांसफर करता है। यह टेक्स्ट एडिटर्स (Text Editors) या किसी अन्य फाइल मैनीपुलेशन सॉफ्टवेयर पैकेजेस की मदद से सभी फाइलों को आसानी से बदलने और मॉडिफाई किए जाने की अनुमति देता है।
शिड्यूलिंग : यह जॉब प्रायरिटी को स्थापित करता है और उसे लागू भी करता है। यानी कि यह कंप्यूटर सिस्टम में जॉब्स या कार्य किस क्रम में एग्जिक्यूट किए जानेे हैं उसे निर्धारित करता है और मेंटेन भी करता है।
टाइम शेयरिंग: यह कॉम्पिलर्स (Compilers), ऐसेम्बलर्स (Assemblers) यूटिलिटी प्रोग्राम्स और अन्य सॉफ्टवेयर पैकेजेस को, कंप्यूटर सिस्टम पर काम करने वाले अलग अलग यूजर्स के लिए असाइन और कोआर्डिनेट करता है।
सिक्योरिटी मैनेजमेंट : यह डाटा सिक्योरिटी और इंटेग्रिटी को इन्सटाल्ड करता है। यानी कि यहां अलग-अलग प्रोग्राम्स और डाटा को इस तरीके से रखता है जिससे ये एक दूसरे के बीच दखलंदाजी न कर सके। इसके अलावा, यह गलत यूजर द्वारा डाटा को नष्ट किए जाने से भी बचाता है।
यह Dumps, ट्रेसेज (traces), एरर मैसेजेस (error messages), अन्य डिबगिंग (debugging) और एरर डेटेक्टिंग कोड्स भी प्रस्तुत करता है।
(i) यह इंटर्नल क्लॉक (Internal Clock) को मेंटेेन करता है और अन्य यूजर्स के लिए सिस्टम यूजर्स के लॉग (log) को भी मेंटेेन करता।
(ii) यह कंप्यूटर सिस्टम और कंप्यूटर ऑपरेटर के बीच कम्युनिकेशन को आसान बनाता है।
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एक ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य को, Summarized (संक्षेप) में इस तरह से क्लासिफाइड किया जा सकता है :
1. रिसोर्स मैनेजमेंट (प्रोसेसर मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट)।
2. प्रोसेस मैनेजमेंट (जॉब शिड्यूलिंग, टास्क मैनेजमेंट)।
3. डाटा मैनेजमेंट (फाइल मैनेजमेंट और इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट)।
4. सिक्योरिटी मैनेजमेंट।
👉 कुछ पॉपुलर OS हैं MS-DOS, विंडोज XP, यूनिक्स, लाइनक्स, सोलरिस (Solaris) और OS/2.
सभी ऑपरेटिंग सिस्टम को चार भागों में बाटा गया है :-
1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में कंप्यूटर पर एक ही यूजर को काम करने की अनुमति देते है उन्हें सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। उदाहरण: DOS, विंडोज XP आदि।
2. मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम
एक मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम, एक ही कंप्यूटर पर एक साथ कई यूजर्स को काम करने की अनुमति देते हैं, प्रत्येक यूजर को एक सिंगल कंप्यूटर से कनेक्टेड टर्मिनल दी जाती है। उदाहरण: लाइनक्स, यूनिक्स, विंडोज 2000 आदि।
3. सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिंगल जॉब प्रोग्राम को एक बार में ही ऐग्जिक्यूट कर लेते हैं, उन्हें सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। उदाहरण: MS-DOS
4. मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक से अधिक जॉब्स के ऐग्जिक्यूशन को सपोर्ट करता है। आजकल के अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे विंडोज 2000, OS/2, यूनिक्स, लाइनक्स आदि, मल्टीटास्किंग को सपोर्ट करते हैं। विंडोज XP और 7, PC के लिए Windows डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम के बाद वाले वर्जन हैं। विंडोज XP ने डेस्कटॉप को एक नया पर्सनलाइज्ड लुक दिया है। जिससे यूजर को इमेजेस इंपोर्ट (Images import) या स्कैन करने में आसानी होती है। यह म्यूजिक फाइल्स को वेब पर लाने और फिर उन्हें पोर्टेबल डिवाइसेस पर ट्रांसफर करने के लिए बने हैं। विंडोज 7 अलग अलग फैमिली मेंबर्स को अपने अपने अलग डेस्कटॉप और फाइल्स के पर्सनल सैट इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। स्टार्ट मैन्यू को रीडिजाइन किया गया है जिस से ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम्स को ढूंढने में आसानी हो। विंडोज XP और विंडोस 7 प्रोफेशनल वर्जन वाले और होम एडिशन वर्जन दोनों तरह से ही मिलते हैं।
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